Comments (4)
29 Jul 2020 06:57 PM
बहारों ने मेरा चमन लूटकर को ख़िज़ाँ को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया।
किसी ने चलो दुश्म़नी की मगर उसे दोस्ती नाम क्यों दे दिया।
मैं समझा नहीं ए मेरे हमऩशींं सज़ा मिली है मुझे किस लिए।
के साक़ी ने लब़ से मेरे छीन कर किसी और को जाम क्यों दे दिया।
ख़ुदाया यहां तेरे इंसाफ़ के बहुत चर्चे सुने हैं मैंने मगर।
सज़ा की जगह एक ख़ताव़ार को भला तूने इनाम क्यों दे दिया।
श़ुक्रिया !
31 Jul 2020 03:11 PM
धन्यवाद ! Shyam Sundar Subramanian ji
बहुत सुंदर रचना ।
धन्यवाद !
धन्यवाद ! Uma jha ji