Comments (4)
29 Jul 2020 09:14 PM
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया।
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।
ब़र्बादी का सोग़ मनाना फ़िज़ूल था।
ब़र्बादियों का जश्न मनाता चला गया।
श़ुक्रिया !
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
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30 Jul 2020 09:38 AM
बिलकुल जी….धन्यवाद् आपका शयाम जी
बहुत सुंदर प्रस्तुति सर
शुक्रिया जी