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मौत की दहलीज़ पर जिंदगी क्या है ये जान पाओगे। जागती आंखों से क्या कभी सपने देख पाओगे। दोस्ती क्या होती है हो जब दुश्मनी तब जान पाओगे। मुझसे खाक़नश़ीं के दिल पर क्या बिजलियां गिराओगे। ग़र चेहरे को पढ़ सको तो दिल का हाल जान पाओगे।
श़ुक्रिया !
मौत की दहलीज़ पर जिंदगी क्या है ये जान पाओगे।
जागती आंखों से क्या कभी सपने देख पाओगे।
दोस्ती क्या होती है हो जब दुश्मनी तब जान पाओगे।
मुझसे खाक़नश़ीं के दिल पर क्या बिजलियां गिराओगे।
ग़र चेहरे को पढ़ सको तो दिल का हाल जान पाओगे।
श़ुक्रिया !