ईश्वर एक अनुभूति है जो किसी न किसी रूप में हमें होती है। एक अद्भुत शक्ति है जो निराकार होकर इस ब्रह्मांड एवं समस्त जीवोंं को संचालित करती है। जिसका वास हृदय में होता है। जिसे जागृत करने का प्रयत्न करना पड़ता है। ईश्वर मनुष्य के रूप में अवतरित हो कर मानव सेवा एवं कष्टों के निवारण हेतु तत्पर होता है। जिसकी प्रत्यक्ष अनुभूति होती है।
इस अद्भुत शक्ति का आवाहन करने पर तरंगों के रूप में इसका अनुभव किया जा सकता है। वैज्ञानिकों द्वारा भी इस तथ्य की पुष्टि की गई है। अतः इस ईश्वर के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता । ईश्वर आवाहन के प्रतीकात्मक माध्यम भिन्न भिन्न हो सकते हैं पर इसका अस्तित्व एकाकी परम रूप है।
यह हमारी सोच है जो ईश्वर के अस्तित्व को झुठला रही है। इस विषय में गंभीर चिंतन की आवश्यकता होती है।
धन्यवाद !
जी,आपका बहुत आभार?????
Vr nice sir
जी,धन्यवाद
ईश्वर यत्र-तत्र-सर्वत्र हैं अंतर्निहित भी हैं प्रत्यक्ष उपस्थित भी हैं, आकार से भी हैं निराकार भी हैं प्रश्न है हम किस रूप में पाने की मनसा रखते हैं ।
धन्यवाद!
जी,आभार, प्रणाम