Comments (4)
20 Jul 2020 04:14 PM
यथार्थ को कितने सुन्दर शब्दों में पिरोया!
AJAY PRASAD
Author
21 Jul 2020 12:02 AM
धन्यवाद आपका
क्या करें ? या ना करें ? ये कैसी मुश्किल हाय ?
कोई तो बता दे मुझको इसका हल ओ मेरे भाई ?
एक तरफ तो कोरोना परेशान करें दूसरी ओर सीमा पर चीन वार करे।
कहीं बाढ़, कहीं भूकंप , कहीं टिड्डी दल आक्रमण कर बेहाल करे।
कहीं देशद्रोही देश विरोधी प्रचार करें , कहीं समाचार और मीडिया अनर्गल प्रलाप करें।
कहीं पाकिस्तान आतंकवादी सांठगांठ से घुसपैठ का प्रयास करे।
कहीं महंगाई सुरसा सी बढ़ती हुई जनता को बेहाल करे।
इन सबको भूलकर राजनीतिक पार्टियां सत्ता की गोटियां फिट करने का प्रयास करें।
कुछ समझ ना पाऊं ये सब क्या हो रहा है ?
लोगों का आत्मविश्वास क्यों खो रहा है ?
अच्छे दिन की कामना की थी पर ये दिन देखने पड़ रहे हैं ।
स्वप्न में भी सोचा ना था वो दिन देखने पड़ रहे हैं।
सहनशीलता की हद हो गई है , मानवता मृतप्रायः हो
गई है।
देश विकास की सीढ़ियों से लुढ़क कर निचली पायदानों पर आ गया है।
कैसे समस्या का का निराकरण हो किसी को समझ नहीं आ रहा है।
बड़े-बड़े अर्थ शास्त्री एवं चिंतक नियोजक हार कर बैठ गए हैं।
एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर अपनी खीजें निकाल रहे हैं।
अब है इंतजार है किसी ईश्वरीय चमत्कार का।
जो कर सके निस्तार इस दुरूह विपत्ति का।
धन्यवाद !
जी शुक्रिया आपका हार्दिक आभार