Comments (9)
20 Jul 2020 09:12 AM
था उनमें मुझ में जुनूँँ।
तो उनमें मुझ में यह फर्क क्यूँ।
मैं गिरफ्त़े गम़ से न बच सका,
वो हुदूदे गम़ से निकल गए।
श़ुक्रिया !
था उनमें मुझ में जुनूँँ।
तो उनमें मुझ में यह फर्क क्यूँ।
मैं गिरफ्त़े गम़ से न बच सका,
वो हुदूदे गम़ से निकल गए।
श़ुक्रिया !
मोहब्बत तो किसी तरफ से नहीं थी
ये तो केवल आशाओं की डोर है।
तुम दिल को अपने समझा सकती थी
जब पता चला उसका कोई और है।
दिल को थोड़ा दर्द होता समझ जाता
पर आप का दिल टूटने से तो बच जाता
धन्यवाद।
Wahh
आपका शुक्रिया ?
Thank you