ये मेरा मुस्कुराना बे सब़ब नहीं।
इज़हार -ए – मोहब्ब़त है ये दिल्लग़ी नहीं।
लब़ ख़ामोश हैं पर निग़ाहें बोलती हैं।
तेरी ख़ामोशी मेरे स़ब्र को तोलती है।
तेरा आश़िक हूं मैं मज़हब इश्क़ मेरा और तू मेरा हम़दम़ है।
दिल की धड़कन में है तू मेरी सांसों में तू हरदम़ है।
ये मेरा मुस्कुराना बे सब़ब नहीं।
इज़हार -ए – मोहब्ब़त है ये दिल्लग़ी नहीं।
लब़ ख़ामोश हैं पर निग़ाहें बोलती हैं।
तेरी ख़ामोशी मेरे स़ब्र को तोलती है।
तेरा आश़िक हूं मैं मज़हब इश्क़ मेरा और तू मेरा हम़दम़ है।
दिल की धड़कन में है तू मेरी सांसों में तू हरदम़ है।
श़ुक्रिया !
आभार आपका Shyam जी!