Comments (5)
17 Jul 2020 06:42 PM
Wahh !! Sir??
17 Jul 2020 06:57 PM
आभार आपका Ravi kumar Malviya जी!
20 Jul 2020 12:38 AM
Most welcom sir?
Wahh !! Sir??
आभार आपका Ravi kumar Malviya जी!
Most welcom sir?
गम़े हिज्र में रातें काटे नहीं कटतींं ।
चांद उदास लगता है चांदनी भी खुशगवार नहीं लगती।
वो क्या गए रूठ गई ये ज़िंदगी,
हंसी खो गई , खुशी खो गयी ,
बे मजा हो गई ये ज़िंदगी।
अब तो बहारों में भी बागों के फूल मुरझाए से लगते हैं।
शायद वो भी मेरे महबूब के इंतज़ार में सोग़वार से लगते हैं।
श़ुक्रिया !
आभार आपका Shyam जी!