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इश्क कभी खुश़ग़वार बहार है। तो कभी सोग़वार ख़िजां का संसार है।
श़ुक्रिया !
?
इश्क कभी खुश़ग़वार बहार है।
तो कभी सोग़वार ख़िजां का संसार है।
श़ुक्रिया !
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