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आपका कथन सत्य है बड़ी उहापोह की स्थिति है।
भविष्य अनिश्चित है। त्रासदी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आम आदमी पर दो तरफा महंगाई और बीमारी की मार पड़ रही है। चारों तरफ भय का माहौल व्याप्त है। कुछ लोग इस अवसर का फायदा उठाकर अपने वारे न्यारे कर रहे हैं। लोगों में संवेदना एवं मानवता विलुप्त हो रही है। इसके अलावा संभावित युद्ध के संकट के बादल मंडरा रहे हैं। शासन प्रणाली किंकर्तव्यविमूढ़ एवं त्रासदी से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाने में असहाय महसूस कर रही है।
सर्वजन हितकारी भावना से ईश्वर प्रार्थना करना ही एकमात्र आशा की किरण है।

धन्यवाद !

सत्य वचन आपके

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति है

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