Comments (12)
14 Jul 2020 07:00 PM
अति प्रशंसनीय, मुझे तो लगा कि इस तरह सोचने वाले अब रहे ही नहीं,मुझे भी एतराज़ है सहूलियत के हिसाब से बनाए जाने वाले रिश्तों से, मैं आपकी इस प्रस्तुति से पूरी तरह सहमत हूं बहुत अच्छा लिखा है आपने।
14 Jul 2020 05:09 PM
Very nice ?
14 Jul 2020 02:53 PM
समाज की विसंगतियों पर कटाक्ष करती हुई सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
14 Jul 2020 01:33 PM
मानवता दिशाहीन है अभी।।
सुन्दर प्रस्तुति।
व्यंग्यात्मक व सत्य को प्रदर्शित करती रचना दोस्त।
यही तो कमी है लोगों में की लोग चहरे का चुनाव करते हैं विचारों का नही
??