आपने अपने प्रोफाइल पर अपना परिचय लिखा है-‘‘कवयित्री हूं या नहीं, नहीं जानती पर लिखती हूं जो मन में आता है !!’’
लेकिन हम कहते हैं-‘‘आप कवयित्री हैं और आपकी कविताएं हर किसी प्रगतिशील विचारधारा और समता, स्वंत्रता, बंधुता व न्याय जैसी बुनियादी मानवीय मूल्यों के पक्षधर पाठकों/ रचनकारों को अच्छी लगती हैं और लगेंगी.’’
इतनी क़ाबिल नही हूँ, आप मेरी रचनाओं की इतनी प्रशंसा करते हैं, बहुत बहुत आभार???
बहुत खूबसूरत।
Thanks ??
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
तू न झुकेगा कभी
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ ,अग्निपथ।
यह महान दृश्य है चल रहा मनुष्य है
अश्रु , स्वेद , रक्त से
लथपथ, लथपथ ,लथपथ
अग्निपथ ,अग्निपथ ,अग्निपथ
धन्यवाद !
आपकी प्रस्तुति से मुझे हरिवंश राय बच्चन की उपरोक्त कविता याद आ गई जो मैंने प्रस्तुत की है।
कृपया स्वीकृत हो।
?????? Thanks?
बहुत बढ़िया अति उत्तम
Thanks ?