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26 Jul 2020 06:04 PM

बहुत बढ़िया अति उत्तम

12 Jul 2020 09:59 PM

आपने अपने प्रोफाइल पर अपना परिचय लिखा है-‘‘कवयित्री हूं या नहीं, नहीं जानती पर लिखती हूं जो मन में आता है !!’’
लेकिन हम कहते हैं-‘‘आप कवयित्री हैं और आपकी कविताएं हर किसी प्रगतिशील विचारधारा और समता, स्वंत्रता, बंधुता व न्याय जैसी बुनियादी मानवीय मूल्यों के पक्षधर पाठकों/ रचनकारों को अच्छी लगती हैं और लगेंगी.’’

इतनी क़ाबिल नही हूँ, आप मेरी रचनाओं की इतनी प्रशंसा करते हैं, बहुत बहुत आभार???

बहुत खूबसूरत।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
तू न झुकेगा कभी
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ ,अग्निपथ।
यह महान दृश्य है चल रहा मनुष्य है
अश्रु , स्वेद , रक्त से
लथपथ, लथपथ ,लथपथ
अग्निपथ ,अग्निपथ ,अग्निपथ

धन्यवाद !

आपकी प्रस्तुति से मुझे हरिवंश राय बच्चन की उपरोक्त कविता याद आ गई जो मैंने प्रस्तुत की है।
कृपया स्वीकृत हो।

?????? Thanks?

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