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ए सनम तुझसे मैं जब दूर चला जाऊंगा। याद रखना के तुझे याद बहुत याद आऊंगा। चांद के अक्स में सूरज की हंसी किरनों में। झील के आईने में बहते हुए झरनों में। इन नजारों में मैं तुझे मैं ही नजर आऊंगा। ए सनम तुझसे मैं जब दूर चला जाऊंगा।
श़ुक्रिया !
ए सनम तुझसे मैं जब दूर चला जाऊंगा।
याद रखना के तुझे याद बहुत याद आऊंगा।
चांद के अक्स में सूरज की हंसी किरनों में।
झील के आईने में बहते हुए झरनों में।
इन नजारों में मैं तुझे मैं ही नजर आऊंगा।
ए सनम तुझसे मैं जब दूर चला जाऊंगा।
श़ुक्रिया !