Comments (3)
8 Jul 2020 07:48 PM
मैं तो एक आज़ाद परिंदा हूं हवाओं के रुख़ के साथ खुद को मोड़ लेता हूं मैं।
खुद से खुद को नहीं छुपाता क्यूं कर जमाने से कुछ छुपाऊं मैं।
श़ुक्रिया !
Brandavan Bairagi
Author
13 Jul 2020 10:22 PM
Ji bahut khub.???
बहुत सुंदर