Comments (6)
5 Jul 2020 08:44 PM
माना के मेरा वजूद सबसे जुदा है।
पर ये इल्म है मुझे दिल नही मेरा बुरा है।
हालातों से तल्ख़ी जुबाँँ पर जाहिर हो सकती है।
पर तय है मेरी सोच बुरी नहीं हो सकती है।
माना के कुछ वादे न निभाए हों मैंने।
पर कभी जानकर बेवफाई नहीं की मैंने।
कैसे कहूं तुमसे बे इंतिहा मोहब्ब़त मैं करता हूँ।
पर खुलकर इज़हार -ए – मोहब्बत करने से.कुछ डरता हूँ।
श़ुक्रिया !
Arsh M Azeem
Author
5 Jul 2020 09:33 PM
सही व्याख्या की है आपने
बहुत बहुत आभार
5 Jul 2020 07:23 PM
बेहतरीन अंदाजे बयां
Arsh M Azeem
Author
5 Jul 2020 09:34 PM
शुक्रिया sir
बिल्कुल सही ?
thanks