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न दी रुख़सत नज़र को मेरी जानिब क्यों तग़ाफ़ुल से। इसे भी आप क्या मेरा ही बख़्ते- नारसा समझे।
श़ुक्रिया !
न दी रुख़सत नज़र को मेरी जानिब क्यों तग़ाफ़ुल से।
इसे भी आप क्या मेरा ही बख़्ते- नारसा समझे।
श़ुक्रिया !