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बहुत खूब !

मरीज़- ए -मोहब्ब़त उन्हीं का फ़साना सुनाता रहा दम़ निकलते निकलते।
तभी ज़िक्रे शामे अलम़ जब के आया चिराग़- ए- सहर बुझ गया जलते जलते।

श़ुक्रिया !

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