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दिल के दागों को मिटाकर कर अपनी मन की आंखों को खोलकर तू जब रख पाएगा। जगाकरअपना ज़मीर रख ब़ुलंद हौसले अपनी मंजिल तू खुद-ब-खुद पा जाएगा।
श़ुक्रिया !
ख़ूब?
दिल के दागों को मिटाकर कर अपनी मन की आंखों को खोलकर तू जब रख पाएगा।
जगाकरअपना ज़मीर रख ब़ुलंद हौसले अपनी मंजिल तू खुद-ब-खुद पा जाएगा।
श़ुक्रिया !
ख़ूब?