Comments (7)
4 Jul 2020 09:14 AM
इस मश़्के के तग़ाफ़ुल की क़सम ये तो बता दे
ताउम्र मै बे़ताब ही बे़ताब रहूं क्या ?
मख़्लूक भी हस्ती मेरी ख़ालिक़ भी मेरी जात
इस पर भी तुझे इल्म़ नहीं है कि मैं हूं क्या ?
सब तेरी मोहब्ब़त की इनाय़त है वरना
मैं क्या मेरा दिल क्या मेरे अंदाज़े- जुनूं क्या ?
माना बहुत तल्ख़ हैं अंजामे तमन्ना
यह गम तेरे खातिर भी गवारा न करूं क्या ?
श़ुक्रिया !
4 Jul 2020 08:34 PM
जमी का दर्द कहां सुनता है आसमां उसे तो अपने ही गरजनो से फुर्सत कहां
8 Aug 2020 10:17 AM
बहुत खूब !
27 Jun 2020 03:24 PM
बहुत सुंदर प्रस्तुति महोदय ?
27 Jun 2020 04:57 PM
धन्यवाद महोदया
अति सुन्दर