Comments (2)
22 Jun 2020 07:14 PM
प्रेम को परिभाषित करने की अपनी-अपनी सोच है।
प्रेम स्वयं एक पवित्र चारित्रिक गुण है।
प्रेम स्वतंत्र अभिव्यक्ति भाव है।
जिसकी स्वीकृति किसी प्रकार अधिकृत नहीं है।
धन्यवाद !
प्रेम को परिभाषित करने की अपनी-अपनी सोच है।
प्रेम स्वयं एक पवित्र चारित्रिक गुण है।
प्रेम स्वतंत्र अभिव्यक्ति भाव है।
जिसकी स्वीकृति किसी प्रकार अधिकृत नहीं है।
धन्यवाद !
वाह बहुत बेहतरीन