Comments (4)
18 Jun 2020 10:23 AM
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला।
वो ही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला।
तुम तक़ल्लुफ़ को भी अख़लाक समझते हो।
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
क्या कहेंं कितने म़रास़िम थे हमारे उससे।
है वही शख्स़ जो मुंह फेर के जाने वाला।
श़ुक्रिया !
Sanjay Narayan
Author
18 Jun 2020 04:26 PM
बहुत उम्दा
शुक्रिया
कटु सत्य है, सुंदर लिखा है सर
????