वाह वाह बहुत खूब लाजवाब !!
गजल की विधा में समाज के प्रति संवेदनशीलता को समेटे हुए कई रचनाओं मे प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन हुआ है ।इस कविता में प्रणय में विरह की भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से स्पर्श किया है ,जिस पर अब तक कम लिखा था ।परन्तु इस रचना से यह सिद्ध कर दिया है कि कवयित्री ना केवल बहुमुखी प्रतिभा की धनी है, अपितु मानव की विभिन्न अवस्थाओं में अन्तर्मन की व्यथाओं का पूरा संज्ञान है।
वेदना में भी आशा है और अवसाद को पीछे छोड़ चेहरे पर मुस्कराहट और दामन में खुशियाँ भी सँजो ली हैं । टूटे हुए रिश्तों में एक और सितम को सहने का जिगर है परन्तु प्रतिकार और प्रतिशोध का भाव नहीं जो क्षमा एवम् त्याग के मानवीय मूल्यों पर आस्था रखने का प्रतीक है।
पर अन्तिम शेर में दिल की कसक उभर कर सामने आ ही जाती है, धैर्य जवाब दे देता है और अन्तिम मिलन की आस की सिसकारी प्रकट हो ही जाती है ।
अगर किसी अचछे गजल गायक द्वारा रिकार्डिंग हो जाये दर्द भरे गीतों मे महत्वपूर्ण स्थान रहेगा।किसी मन्च पर इस गजल का सस्वर पाठ सुनने की अवश्य इच्छा रहेगी
ऐसी कुछ और ह्रदय को छूती हुई रचनाओं का सदैव स्वागत रहेगा।
वियोगी होगा पहला कवि ,
आह से उपजे होगा गान।
निकल कर आखों से चुपचाप
बही होगी कविता अनजान ।।
– सुमित्रा नंदन पन्त
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी,,,
जिस्म़ फ़ना हो गया है तो क्या?
अब भी तेरी चाहत रु़ह में बाक़ी है।
श़ुक्रिया !
शुक्रिया sir
मार्मिक प्रस्तुति।
Thankyou ji
वाह वाह क्या खूब लिखा है?
Thankyou ji