You must be logged in to post comments.
इश्क़ में जो फ़ना हो वो ज़िंदगी का स़िला चाहे क्यूं ? जो हक़ीक़त ए मुंतज़िर हो वह ख्वाबों को पाले क्यूं ?
श़ुक्रिया !
वाह भाई साहब वाह। Thanks
इश्क़ में जो फ़ना हो वो ज़िंदगी का स़िला चाहे क्यूं ?
जो हक़ीक़त ए मुंतज़िर हो वह ख्वाबों को पाले क्यूं ?
श़ुक्रिया !
वाह भाई साहब वाह।
Thanks