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बहुत दिनों की कैद से बाहर निकल कर देखता हूं फिजाओं में कुछ नमी है। लगता है सारी कायनात इंसानों की हमदर्दी में रोई है।
श़ुक्रिया !
बहुत दिनों की कैद से बाहर निकल कर देखता हूं फिजाओं में कुछ नमी है।
लगता है सारी कायनात इंसानों की हमदर्दी में रोई है।
श़ुक्रिया !