Comments (5)
2 Jun 2020 08:11 AM
Nice
Seema katoch
Author
2 Jun 2020 10:53 AM
Dhanyawad जी
बरसात के बाद पहाड़ों में जब धूप निकलती है तो एक सीले से मौसम के बाद नव ऊर्जा, नव उमंग, नव उत्साह की अनुभूति होती है ।समय होता है वह गर्म कपडों के खजाने को नैफ्थलीन की गोलियों से सुरक्षित, लोहे के सन्दूक से बड़े एहतियात से निकाल कर धूप दिखा कर हल्की सी नमी को सुखाने का।
ह्रदय के अन्दर काफी समय से बन्द सपने भी व्यस्तता के कारण भी अच्छे दिनों की आस में अन्तर्मन के आँसुओ से थोड़ा भीग कर निराशा के भँवर में फँस जाते है।
अब अनुकूल परिस्थितियां आने पर उन सपनों को पर लगने लगे है और आशा का सूरज प्रखर रूप से देदिप्त्मान है ।
दिन प्रति दिन की गतिविधियों में जीवन के दर्शन को सरल रूप से प्रतिबिम्बित करने में आपको महारत हासिल है।इस को एक बार और प्रदर्शित करने हेतु मुक्त कंठ से आपको बधाइयां व शुभकामनाएँ
सादर अभिनन्दन आदरणीया
बहुत बहुत धन्यवाद
कहीं अर्थ का अनर्थ तो नहीं कर दिया
शेर का मर्म यही था कुछ और तो नहीं ।कृपया इस का भी संकेत मिल जाये तो प्रतिक्रिया की प्रासंगिकता को सम्बल प्राप्त होगा और आगे के लिये सुधार की भी सम्भावना होगी
आशा है निवेदन को अन्यथा नहीं लेंगे