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सर जी ,ऐ नेता लोग ही सबसे ज्यादा जातिवाद धर्म संप्रदाय,ऊच नीच को बढ़ावा देते हैं,यही लोग इन सब आपत्ति जनक पदार्थों का बितरण करबाते हैं, वोट तो इन्हें सभी देते हैं, जब ऐ कुर्सी पर बैठ जाते हैं, तो इनमें एक दूसरे को भिन्न नहीं समझते और उन्हीं को गले लगाते हैं ,जो कुछ घूस दे सके,।

सर आपकी भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो माफ़ करना, लेकिन देश की हक़ीक़त यहीं हैं,।

31 May 2020 11:17 PM

जयविंद सिंह जी, वोट डालने को जाते समय जब हम धर्म,जाति, संप्रदाय, ऊंच-नीच, के साथ सुरापान में डिगने को तैयार है तो फिर हमारी चिंता क्यों होगी, और रही बात अमीरों की तो चुनाव खर्च के लिए जो अपनी तिजोरी खोलके रख दें, तो छूट भी उसी को ही मिलेगी, गरीब की पैरवी करने वालोें को तो हमने संता तक पहुंचाया ही नहीं, जिन्होंने हमेशा गरीबों के हक को जीता है वह तो आज अप्रासंगिक हो गये हैं,
जिन्हें साम्यवादी दल कहा जाता था, उन्हें कभी ताकत ही नहीं दी है हमने, और देदी उन्है जो सपनों के सौदागर हैं, तब यही होना है।

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