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Comments (6)

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उत्तम रचना जी. आप मेरी रचना ‘मौसम ने ली अंगड़ाई’ पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य साझा करें जी.

4 Sep 2021 09:12 AM

धन्यवाद सर ।।
प्रणाम।।

29 May 2020 10:52 AM

बहुत बढ़िया

29 May 2020 11:02 AM

आपका आभार।।
ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहिएगा।
प्रणाम।

जब उजियारा छाये
मन का अन्धेरा जाये
किरनों की रानी गाये
जागो हे, मेरे मन, मोहन प्यारे

जागी जागी रे सब कलियाँ जागी
नगर नगर सब गलियाँ जागी
जागी रे जागी रे जागी रे…

जागो मोहन प्यारे, जागो
नव युग चूमे नैन तिहारे
जागो, जागो मोहन प्यारे

जागी जागी रे सब कलियाँ जागी
नगर नगर सब गलियाँ जागी
जागी रे जागी रे जागी रे…

जिसने मन का दीप जलाया
दुनिया को उसने ही उजला पाया
मत रहना अँखियों के सहारे
जागो मोहन प्यारे…

किरन परी गगरी छलकाये
ज्योत का प्यासा, प्यास बुझाये
फूल बने मन के अंगारे
जागो मोहन प्यारे…

धन्यवाद !

29 May 2020 10:40 AM

मनमोहक कविता।।।
प्रणाम।

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