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तुम्हें पा के हमने जहाँँ पा लिया है। ज़मींं तो ज़मीं आसमाँँ पा लिया है। मिटा ना सकेगी जिसे फ़िज़ा भी। जला ना सकेगी जिसे बिजलियाँँ भी। मोहब्ब़त में वो आशियाँँ पा लिया है। तुम्हें पा के हमने जहाँँ पा लिया है।
श़ुक्रिया !
तुम्हें पा के हमने जहाँँ पा लिया है।
ज़मींं तो ज़मीं आसमाँँ पा लिया है।
मिटा ना सकेगी जिसे फ़िज़ा भी।
जला ना सकेगी जिसे बिजलियाँँ भी।
मोहब्ब़त में वो आशियाँँ पा लिया है।
तुम्हें पा के हमने जहाँँ पा लिया है।
श़ुक्रिया !