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12 Feb 2021 08:23 AM

बेहतरीन?,
कृपया मेरी कविता’मैं इश्कबाज़ नहीं’ को पढ़ें व प्रतिक्रिया दे उत्साहवर्धन करें?

बहुत सुंदर

23 May 2020 11:26 PM

सौरभ जी,आपने आज के संदर्भ में महाभारत का चित्रण तार्किक रूप से करके,यह अहसास करा दिया है कि अनुचित के खिलाफ खड़े होने वाले आज हैं भी तो उसी प्रकार के हैं जो कभी धृतराष्ट्र के दरबार में थे,बस सिर्फ प्रतिक्रिया व्यक्त करने तक, बाकी भाग्य भरोसे पर छोड़ देने को विवश। प्रतिकार का जोखिम नहीं लेना है

सामयिक प्रस्तुति पर अद्वितीय विचारधारा

वर्तमान यथार्थ की अतिसुंदर व्यंगपूर्ण प्रस्तुति।

धन्यवाद !

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