आपके प्रस्तुत विचारों से मैं सहमत नहीं हूं। जिसका उत्तर मैं प्रस्तुत कर रहा हूं :
अच्छे संस्कार जब होंगे तब बुरी सोच कैसे आएगी ?
जागृत अधिकार होंगे तब तर्क सिद्धि कैसे बुरी हो जाएगी ?
सुविचार होंगे शब्दों का उद्गार कैसे बुरा होगा ?
शुद्ध सत्कार की भावना होगी तो अनुभव कैसे बुरा होगा ?
प़ाक इब़ादत का रूहानी ए़हसास बुरा कैसे होगा ?परिवार संस्कारी होगा तो उसमें बुरे सदस्य कैसे होंगे?
संसार अच्छा होगा तो उसमें लोग बुरे कैसे होंगे ?
लेकिन ये मेरे विचार उस परिस्थिति के लिए है जब हम कुछ पल के लिए बहक जाते हैं ।
जरूरी नहीं है कि जिसके परिवार द्वारा संस्कार अच्छे हो उस परिवार के सभी व्यक्ति सही हो ।
कभी कभी हमारा वातावरण भी हमारे जीवन में बदलाव में अहम भूमिका निभाता है ।
एक किसान की संतान किसान की तरह मेहनती हो जरूरी नहीं है । जीवन सब कुछ ना कुछ करना चाहते है । लेकिन सबके तरीके अलग है ।
आपके प्रस्तुत विचारों से मैं सहमत नहीं हूं। जिसका उत्तर मैं प्रस्तुत कर रहा हूं :
अच्छे संस्कार जब होंगे तब बुरी सोच कैसे आएगी ?
जागृत अधिकार होंगे तब तर्क सिद्धि कैसे बुरी हो जाएगी ?
सुविचार होंगे शब्दों का उद्गार कैसे बुरा होगा ?
शुद्ध सत्कार की भावना होगी तो अनुभव कैसे बुरा होगा ?
प़ाक इब़ादत का रूहानी ए़हसास बुरा कैसे होगा ?परिवार संस्कारी होगा तो उसमें बुरे सदस्य कैसे होंगे?
संसार अच्छा होगा तो उसमें लोग बुरे कैसे होंगे ?
धन्यवाद !
आपका कहना भी ग़लत नहीं है महोदय जी ।
लेकिन ये मेरे विचार उस परिस्थिति के लिए है जब हम कुछ पल के लिए बहक जाते हैं ।
जरूरी नहीं है कि जिसके परिवार द्वारा संस्कार अच्छे हो उस परिवार के सभी व्यक्ति सही हो ।
कभी कभी हमारा वातावरण भी हमारे जीवन में बदलाव में अहम भूमिका निभाता है ।
एक किसान की संतान किसान की तरह मेहनती हो जरूरी नहीं है । जीवन सब कुछ ना कुछ करना चाहते है । लेकिन सबके तरीके अलग है ।
शुक्रिया !
बाकी महोदय जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका । आप हमारे लिए हमेशा ही मार्ग दर्शक रहेंगे ।
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