Comments (3)
20 May 2020 03:48 PM
अति सुंदर व्यंगात्मक प्रस्तुति।
धन्यवाद !
मधुसूदन गौतम
Author
20 May 2020 04:52 PM
आदरणीय आभार आपका।स्नेह बनाये रखे
बहुत ही सुंदर कविता है,यदि हम अपने बोल क़ाबू में रख सकें तो सब कुछ कितन निर्मल हो जाए।
मेरी कविता ईश्वर भी पढ़ें और राय दें।?