Comments (4)
20 May 2020 01:51 PM
उत्तम प्रस्तुति ।
साधुवाद!
Jayanti Prasad Sharma
Author
20 May 2020 03:25 PM
धन्यवाद उमा जी।
वर्तमान का यथार्थ इस प्रकार की विसंगतियां ही हैं ।
जो कुपात्र हैं उनका सम्मान हो रहा है और पात्र मूकदर्शक बनकर यह सब देख रहा है ।और इसका लेशमात्र भी विरोध करने में अपने को असमर्थ पा रहा है। सामाजिक व्यवस्था में नैतिक मूल्यों का ह्रास इसका मुख्य कारण है।
धन्यवाद !
बहुमूल्य टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।