रावत जी,यह तो ऐसा मंजर है, जो बढ़ता जा रहा है,सत्यता प्राप्ती के लिए इस से बढ़िया और क्या हो सकता है, काम करने के लिए तो बहुत झंझट झेलने पड़ते हैं, आसान राह तो यही है, काम के समय,घुमाते, रहो, और चुनाव के दौरान
धर्म, संप्रदाय को सामने रख दो,हम काम पर अपनी राय तो देते नहीं है, धर्म को खतरा है पर अपनी राय देते हैं।यही होता रहेगा।
रावत जी,यह तो ऐसा मंजर है, जो बढ़ता जा रहा है,सत्यता प्राप्ती के लिए इस से बढ़िया और क्या हो सकता है, काम करने के लिए तो बहुत झंझट झेलने पड़ते हैं, आसान राह तो यही है, काम के समय,घुमाते, रहो, और चुनाव के दौरान
धर्म, संप्रदाय को सामने रख दो,हम काम पर अपनी राय तो देते नहीं है, धर्म को खतरा है पर अपनी राय देते हैं।यही होता रहेगा।
Ji उनियाल सर् .. आपका कथन सत्य है… दरअसल मुद्दे बहुत हैं.. मगर इस देश में ये वाला सिलसिला शायद ही कभी खत्म हो। आपका धन्यवाद प्रणाम