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Comments (6)

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14 May 2020 11:07 PM

कलम बागी नहीं होती है। वो तो हमारे इशारों पर नाचती है। हम जैसे उसे नचाएं। अच्छी कविता है ।
धन्यवाद!

Aman 6.1 Author
15 May 2020 01:07 AM

जब जुल्म होता तो कलम भी बागी हो ही जाती जी✍️

यथार्थ की सुंदर प्रस्तुति।

धन्यवाद !

Aman 6.1 Author
14 May 2020 10:05 PM

Thanks जी✍️

14 May 2020 06:24 PM

बहुत खूब ?

Aman 6.1 Author
14 May 2020 06:49 PM

Thanks जी✍️

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