आपकी सकारात्मक भावों युक्त प्रस्तुति का स्वागत है।
जहां तक समाज मानसिकता बदलने का प्रश्न है यह एक जटिल प्रक्रिया है। धर्मांधता रूढ़िवादिता स्वार्थपरता आपसी द्वेष एवं धन लोलुपता के चलते संस्कार विहीन समाज में बदलाव लाने का प्रयत्न एक यक्ष प्रश्न बनकर रह गया है। जब तक इसके मूल में आने वाली पीढ़ी में संस्कारों का पोषण नहीं किया जाता तब तक वर्तमान समाज की सोच में परिवर्तन की संभावना नहीं है।
केवल चर्चाओं और उपदेशों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेंगे।
आपकी सकारात्मक भावों युक्त प्रस्तुति का स्वागत है।
जहां तक समाज मानसिकता बदलने का प्रश्न है यह एक जटिल प्रक्रिया है। धर्मांधता रूढ़िवादिता स्वार्थपरता आपसी द्वेष एवं धन लोलुपता के चलते संस्कार विहीन समाज में बदलाव लाने का प्रयत्न एक यक्ष प्रश्न बनकर रह गया है। जब तक इसके मूल में आने वाली पीढ़ी में संस्कारों का पोषण नहीं किया जाता तब तक वर्तमान समाज की सोच में परिवर्तन की संभावना नहीं है।
केवल चर्चाओं और उपदेशों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलेंगे।
धन्यवाद !
बिल्कुल व्यवहारिक बात कर रहे हैं आप,जो कि सत्य है।
धन्यवाद।