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तुम्हारी तारीफ में लिखी सब शायरी ज़ेहन पर छा जाती हैं। जब मै तुझे मुज्जस़िम पाता हूँ।
श़ुक्रिया !
तुम्हारी तारीफ में लिखी सब शायरी ज़ेहन पर छा जाती हैं।
जब मै तुझे मुज्जस़िम पाता हूँ।
श़ुक्रिया !