Comments (3)
10 May 2020 11:20 PM
बस यही करते रहना है सागर जी, अपने उद्गार प्रकट करने में संकोच कैसा? लेखनी से यह आभास सबको करवाते हुए अपना दायित्व का निर्वाह हुआ करें, बाकी जागने वाले जब तक जग नहीं जाते, प्रयास करते जाना है।
10 May 2020 08:02 PM
वर्तमान यथार्थ के कटु सत्य को परिलक्षित करती सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
बहुत खूब लिखा भाई आपने ।
बधाई प्रेषित ।