Comments (12)
18 Jun 2020 09:05 PM
सुंदर कविता, हकीकत से रुबरु कराती है।
Shyam Sundar Subramanian
Author
18 Jun 2020 11:03 PM
धन्यवाद !
13 May 2020 01:42 PM
बहुत खूब
Shyam Sundar Subramanian
Author
13 May 2020 05:57 PM
श़ुक्रिया ज़नाब !
10 May 2020 11:05 PM
यह तो बहुत घूढ रहस्य है श्रीमन , क्योंकि ऐसा अहसास तो बहुतों को होता है, और वह व्यक्त भी करते हैं किन्तु परिभाषित करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, शायद मैं तो यही समझता हूं।
Shyam Sundar Subramanian
Author
11 May 2020 05:03 AM
जीवन के कुछ कटु अनुभव मनुष्य को इस प्रकार सोचने के लिए बाध्य करते हैं। जिस संवेदना की अपेक्षा हम रिश्तो से करते हैं , वह हमें नही मिलती। जबकि उनसे अधिक अनअपेक्षित संवेदना हमें गैरों में नज़र आती है। संकट की घड़ी में हमें गैरों पर निर्भर होना पड़ता है। रिश्ते औपचारिकता निभाना मात्र होकर रह जाते है।समाज मे रिश्तों की स्वार्थपरता हमें सालती है।
धन्यवाद !
10 May 2020 09:25 PM
परमसत्य सुन्दर रचना ।
धन्यवाद!
Shyam Sundar Subramanian
Author
11 May 2020 04:43 AM
धन्यवाद !
10 May 2020 04:22 PM
सच्चाई✍️
Shyam Sundar Subramanian
Author
10 May 2020 09:01 PM
धन्यवाद !
सत्य से संवाद करती रचना. उत्तम
प्रोत्साहन का साधुवाद !