Comments (5)
9 May 2020 09:05 PM
अत्यंत सुंदर
Radha Bablu mishra
Author
20 May 2020 11:37 AM
धन्यवाद
9 May 2020 08:16 PM
अश्रु की अपनी भाषा होती है।
कभी कष्ट के तो कभी प्रसन्नता के ,तो कभी पश्चाताप के , कभी मिलन के तो कभी वियोग के, तो कभी पाने के, कभी खोने के ,कभी आभार के तो कभी तिरस्कार के ,कभी सम्मान के तो कभी अपमान के , कभी कृतज्ञता के तो कभी विश्वासघात के, ये मूक संवेदना के स्वर हैं।
ये हार्दिक अनुभूति मुदित सारगर्भित प्रखर हैंं।
धन्यवाद !
Radha Bablu mishra
Author
20 May 2020 11:37 AM
बिल्कुल सही , धन्यवाद
मार्मिक भाव पूर्ण सुंदर प्रस्तुति