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जियाले ही तव़ारीख़ लिखते हैं। ये तो कुदरत से भी लड़कर तक़दीर बदल कर रख देते हैं।
श़ुक्रिया !
जियाले ही तव़ारीख़ लिखते हैं।
ये तो कुदरत से भी लड़कर तक़दीर बदल कर रख देते हैं।
श़ुक्रिया !