Comments (4)
7 May 2020 07:41 AM
मुफ़लिसों को सपने भी हस़ीन नसीब नहीं होते हैं
उनको सपने में भी दो रोटी और फैले दो हाथ ही नजर आते हैं।
श़ुक्रिया !
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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8 May 2020 10:21 AM
हार्दिक आभार
गरीबी ही टूटता हुआ सपना है ।
धन्यवाद!
हार्दिक आभार