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महोदय , यह पूरा ब्रह्मांड थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन पर आधारित है यहां परिवर्तन हर पल हर क्षण होता रहता है। जीवन की उत्पत्ति भी इसी पर आधारित है जिसमें एक कोशीय जीव से लेकर बहू कोशीय जीवो का उद्भव एवं कालांतर में मनुष्य का उद्भव संभव हुआ है।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो निरंतर जारी रहती है ।जिस पर मानव का नियंत्रण नहीं है। हालांकि आधुनिक युग में वैज्ञानिकों द्वारा क्लोन रुपी जैविक प्रतिरूप बनाने में सफलता हासिल की है परंतु मानव प्रतिरूप बनाने की दिशा में प्रयत्न अभी प्रश्नवाचक स्थिती में ही हैंं।
मानव ने अविष्कारों के माध्यम से कई परिकल्पनाओंं को साकार रूप देकर सिद्ध किया है । परंतु प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने के दुष्परिणाम भी उसको भुगतने पड़े हैं। अतः यह कहना गलत होगा कि मनुष्य प्रकृति को अपने सुविधानुसार ढालने में सफल हो सकेगा।
अतः मैं आपकी विचारधारा से सहमत नहीं हूं कि मनुष्य द्वारा प्रकृति को अपने अनुसार ढालने मे सफलता मिल सकती है। और मिट्टी से बोकर कम्पयूटर और साईकल प्राप्त करने की परिकल्पना संभव हो सकती है।
भावातिरेक मे आपने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर अमरत्व प्राप्त करने का विश्वास जताया है, जो सर्वथा असंभव परिकल्पना है।

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