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उनके मुस्कुराने को हम इज़हार -ए -मोहब्ब़त समझ बैठे।
कितने ऩादान थे हम फ़रेबी इश्क के जाल में उलझ बैठे।

श़ुक्रिया !

SAGAR Author
29 Apr 2020 12:02 AM

जी शुक्रिया
बहुत खूब

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