खुली आंखों से ख्वाब देखते रहे ज़िंदगी समझ ना पाए।
बहुत हौसला था श़िद्दत से मंज़िल पाने का पर नसीब जगा ना पाए।
बहुत हुऩर पाया था लिखने का पर जो भी लिखा उसे खुद पूरा न समझ पाए।
जिन्होंने दिल पर जख्म़ दिए उन्हें बेवफा कभी मान ना पाए।
दिल आग़ाह करता रहा पर आंखों में छाये ग़ुरुर से हक़ीक़त ना पहचान पाए।
दिल नादान रहा जो दिल का क्या खेल है ये समझ पाए।
सब को अपनाते रहे ज़िंदगी भर पर किसी के अपने बनकर ना रह पाए ।
जी sir maine कोई सीखा नही कहीं से बस लास्ट year start किया था लिखना, मैं पंजाबी हूँ तो थोड़ा हिंदी कम आती,but कोशिश जारी है इतने कम समय में इतना लिखना aagya तो कोशिश जारी बाकी आप लोगों का सहयोग मिलता रहेगा तो सुधार करता रहूंगा,मैं सिर्फ 10minute mai लिख कर add करता हु editing ya कुछ time नही lgata dobara us wajeh se थोड़ा गड़बड़ होता है।
खुली आंखों से ख्वाब देखते रहे ज़िंदगी समझ ना पाए।
बहुत हौसला था श़िद्दत से मंज़िल पाने का पर नसीब जगा ना पाए।
बहुत हुऩर पाया था लिखने का पर जो भी लिखा उसे खुद पूरा न समझ पाए।
जिन्होंने दिल पर जख्म़ दिए उन्हें बेवफा कभी मान ना पाए।
दिल आग़ाह करता रहा पर आंखों में छाये ग़ुरुर से हक़ीक़त ना पहचान पाए।
दिल नादान रहा जो दिल का क्या खेल है ये समझ पाए।
सब को अपनाते रहे ज़िंदगी भर पर किसी के अपने बनकर ना रह पाए ।
श़ुक्रिया !
आपका एहसास बहुत उम्दा है।
थोड़ा अंदाज़ ए बयां मेंं कोशिश करने की जरूरत है।
जी sir maine कोई सीखा नही कहीं से बस लास्ट year start किया था लिखना, मैं पंजाबी हूँ तो थोड़ा हिंदी कम आती,but कोशिश जारी है इतने कम समय में इतना लिखना aagya तो कोशिश जारी बाकी आप लोगों का सहयोग मिलता रहेगा तो सुधार करता रहूंगा,मैं सिर्फ 10minute mai लिख कर add करता हु editing ya कुछ time नही lgata dobara us wajeh se थोड़ा गड़बड़ होता है।