Comments (6)
18 Oct 2021 10:18 AM
बेहतरीन..sir
क्षितिज से आगे चलने का साहस,
इस अस्थायी जीवन जीने का साहस,
आप साथ हो, पग – पग हाथ हो
तो ये ‘प्रिये’ क्यूँ घबराए,,
सह तो लूँ इस ज़माने भर की दुश्वारियों को
जो आपका साथ हो तो ता-उम्र बात हो..
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Author
18 Oct 2021 10:22 AM
बेहतरीन महोदय।
24 Apr 2020 09:03 AM
जिस्म़ का बोझ उठाए नहीं उठता तुमसे ज़िंदगानी का कड़ा बोल सहोगी कैसे ?
तुम जो हल्की सी हवाओं में लचक जाती हो ज़िंदगानी के तेज़ थपेड़ों में रहोगी कैसे ?
श़ुक्रिया !
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Author
24 Apr 2020 09:58 AM
वाह
Great job Sir.?
Thank you Sir