Comments (3)
KRISHNA SHARMA
Author
24 Apr 2020 10:10 PM
आदरणीय आभार |||
20 Apr 2020 11:11 AM
आत्म चिंतन युक्त सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
मैं जमीन पर हूं न समझा न परखना चाहा।
आसमां पर ये कदम झूम के रखना चाहा।
आज जो सर को झुकाया तो मुझे याद आया।
कि मेरे ज़ेहन पे पड़ा था मेरे गुरूर का साया।
श़ुक्रिया !