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Comments (4)

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बहुत सुंदर लिखा आपने

28 May 2021 09:11 AM

धन्यवाद !

15 Apr 2020 08:51 AM

सही कहा आपने सर

इंसानियत तब भी थी ,
इंसानियत आज भी है ।

पहले ज्यादा होती थी ,
आज थोड़ा कम है ।

ज़्यादा कुछ नहीं ,
बस जज्बातों का फर्क है ।

पहले इंसानियत के किरदार थे ,
आज किराए की इंसानियत है ।

धन्यवाद ?

15 Apr 2020 11:30 AM

आजकल सच्ची इंसानियत ढूंढने से नहीं मिलती। इंसानियत का मुखौटा पहने हुए खुदगर्जी मिलते हैं।

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