Comments (5)
11 Apr 2020 08:19 PM
एक अजनबी झोंके से पूछा जब मैंने गम का सबब।
सहरा की भीगी रेत पर उसने लिखा आवारगी।
श़ुक्रिया !
Mugdha shiddharth
Author
12 Apr 2020 08:13 AM
देखिए ये दिल ए बर्बाद लेकर कहां मुझ को जाएगी
हमने आती जाती हवा के परों पे लिख दिया आवारगी !
12 Apr 2020 10:56 AM
बहुत खूब !
????
बहुत सुंदर हुआ करती है ये आवारगी ,
हर प्रेमी की पहचान होती है ये आवारगी ।
कुछ पल के लिए कभी गिरा देती है ये आवारगी ,
तो कभी सराखो पर बिठा देती है ये आवारगी ।
कभी खुले जुल्फों के लिए शायरी बुला लेती है ये आवारगी ,
कभी पत्थर को भी पूज्नीय बना देती है ये आवारगी ।
पल भर में खुशियों की सौगात लाती है ये आवारगी ,
कभी नग्न पैरों में भी छाले पड़ा देती है ये आवारगी ।
बारिश की एक बूंद से भी प्यास बुझा देती है ये आवारगी ,
कभी समन्दर के पास भी एक बूंद के लिए भी तरसा देती है ये आवारगी ।
हर मंजिल की शुरुआत होती है ये आवारगी ,
कुछ भी हो बड़ी नादान होती है ये आवारगी ।
❤️?