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यादों के घरौंदे मे मजबूरी की सिसकियां कैद होकर रह गई है। अश्कों को जज्ब़ किए आंखें पथरा कर रह गई है।
श़ुक्रिया !
यादों के घरौंदे मे मजबूरी की सिसकियां कैद होकर रह गई है।
अश्कों को जज्ब़ किए आंखें पथरा कर रह गई है।
श़ुक्रिया !