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बहुत बहुत आभार सर

आंचल फैलाये तेरे दरबार में रब
करम कर जाने कितनी पहर गई।

वाह, आदरणीया वाह , क्या कहने । आपकी ओजपूर्ण लेखनी को नमन।

18 May 2020 11:40 AM

Ek ek word me Sachae hai… Aapko Mera Salam

जिंदगी भर खुदगर्जी और क़ुफ्र में डूबे रहे।
मौत ने जब दस्त़क दी तब सब़ाब का ख्य़ाल आया।

श़ुक्रिया !

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