Comments (4)
19 May 2020 08:07 AM
आंचल फैलाये तेरे दरबार में रब
करम कर जाने कितनी पहर गई।
वाह, आदरणीया वाह , क्या कहने । आपकी ओजपूर्ण लेखनी को नमन।
18 May 2020 11:40 AM
Ek ek word me Sachae hai… Aapko Mera Salam
31 Mar 2020 09:26 AM
जिंदगी भर खुदगर्जी और क़ुफ्र में डूबे रहे।
मौत ने जब दस्त़क दी तब सब़ाब का ख्य़ाल आया।
श़ुक्रिया !
बहुत बहुत आभार सर